
जन्माष्टमी पर विशेष आलेख , , ,,,, आज जन्माष्टमी का पावन पर्व हम बना रहे हैं इस पावन उत्सव की सार्थकता हम तभी सही कर सकते हैं जब हम भूखी प्यासी सड़कों पर घूम रही गौ माताओं के लिए कुछ कर सके वर्तमान खेती किसानी में गाय बैलों का उपयोग कम होने से किसानों ने भी गोधन को खुला छोड़ दिया है जब इन से काम नहीं उनका लालन-पालन कैसे करें ऐसी मानसिकता के कारण गोधन भूखी प्यासी इधर उधर भटक रही है गौशाला है भी है किंतु गौशालाओं में सीमित संख्या में ही गोधन को रखा जाता है अब ऐसे में बेचारी गौ माता क्या करें? गोचर की भूमि भी गांव से लेकर शहर तक अतिक्रमण में समाप्त हो गई है ऐसे में विचारी गौ माता क्या करें किसानों ने गाय पालना छोड़ ही रखा है ऐसे में कुछ किसान अपनी परंपरा के हिसाब से और कुछ गौ भक्त संस्कृति के हिसाब से आज भी गाय पाल रहे हैं वरना गोवंश तो किसानों के लिए एक मुसीबत नजर आने लगी क्योंकि आजकल किसान तीन फसल के चक्कर में गोवंश पालना उचित नहीं समझ रहे हैं बिचारी गौ माता ऐसे में कहां जाए चिंतनीय विषय है? श्री कृष्ण योगेश्वर के साथ-साथ क्रांति के देवता भी थे गीता में अर्जुन को ...